Skip to Content

Sad Hindi Love Shayari

मुझ से बदनसीब कौन होगा, मेरी कंधे पे सिर रख कर वो रोया भी तो किसी और के लिए
 
उनसे कहना की क़िस्मत पे ईतना नाज ना करे, हमने बारिश में भी जलते हुए मकान देखें हैं
 
तू मेरी चाहत का एक लफ्ज भी ना पढ़ सका, और मैं तेरे दिये हुए दर्द की किताब पढ़ते पढ़ते ही सोती हूँ।
 
मुस्कुराने से भी होता है ग़में-दिल बयां, मुझे रोने की आदत हो ये ज़रूरी तो नहीं
 
इतना याद न आया करो, कि रात भर सो न सकें, सुबह को सुर्ख आँखों का सबब पूछते हैं लोग।
 
अश्क बहकर भी कम नहीं होते, कम से कम मेरी आँखें तो अमीर हैं।
 
मैं क्या जानूँ दर्द की कीमत, मेरे अपने मुझे मुफ्त में देते हैं
 
मैं आईना हूँ टूटना मेरी फितरत है, इसलिए पत्थरों से मुझे कोई गिला नहीं।
 
कितने सालों के इंतज़ार का सफर खाक हुआ उसने जब पूछा “कहो कैसे आना हुआ”।
 
मेरी किस्मत में तो कुछ यूँ लिखा है, किसी ने वक्त गुज़ारने के लिए अपना बनाया, तो किसी ने अपना बनाकर वक्त गुजार लिया
 
बड़े अजीब से इस दुनिया के मेले हैं, यूँ तो दिखती भीड़ है, पर फिर भी सब अकेले हैं
 
जानते हैं दुनिया की सबसे कीमती चीज़ें क्या हैं? सच्ची ख़ुशी के आंसू और सच्चे आंसुओं पर मुस्कान।
 
रिश्तों की डोरी तब कमजोर होती है जब इंसान ग़लतफहमी में पैदा होने वाले सवालों का जवाब खुद ही बना लेता है !
 
लोग कहते हैं जब कोई अपना दूर चला जाता है तो बड़ी तकलीफ होती है, पर ज्यादा तकलीफ तो तब होती है जब कोई अपना पास होकर भी दूरियाँ बना ले !
 
मेरी कोशिश हमेशा से ही नाकाम रही पहले तुजे पाने की अब तुजे भुलाने की
 
रोज़ तेरा इंतज़ार होता है, रोज़ ये दिल बेक़रार होता है, काश तुम ये समझ सकते की, चुप रहने वालों को भी किसी से प्यार होता है
 
खाएं हैं लाखों धोखे एक और सह लेंगे, तू ले जा अपनी डोली हम अपने जनाजे को बारात कह लेंगे
 
शौक से तोडो दिल मेरा, मुझे क्या परवाह, तुम्ही रहते हो इसमें, अपना ही घर उजाड़ोगे
 
बहुत भीड़ है मोहब्बत के इस शहर में, एक बार जो बिछड़ा, वो दोबारा नहीं मिलता
 
रिश्ते उन्ही से बनाओ जो निभानेकी औकात रखते हो, बाकी हरेक दिल काबिल-ऐ-वफा नही होता
 
वो बड़े ताज्जुब से पूछ बैठा मेरे गम की वजह, फिर हल्का सा मुस्कराया, और कहा, मोहब्बत की थी ना?
 
फ़िक्र तो तेरी आज भी करते है बस जिक्र करने का हक नही रहा
 
कितनी अजीब है मेरे अन्दर की तन्हाई भी , हज़ारों अपने हैं मगर, याद तुम ही आते हो
 
कितना नादान है ये दिल, कैसे समझाऊँ की, जिसे तू खोना नही चाहता हैं, वो तेरा होना नही चाहता है।
 
एक सन्नाटा दबे पाँव गया हो जैसै, दिल से इक ख़ौफ सा गुज़रा है बिछड़ जाने का
 
मुस्कुरा देता हूँ अक्सर देखकर पुराने Message तेरे, तू झूठ भी कितनी सच्चाई से लिखती थी
 
इश्क की सजा मिली मुझे ज़ख्म लगा कुछ ऐसे दिल पर, अगर छिपाता तो जिगर जाता, और सुनाता तो बिखर जाता
 
हमने तुम्हें उस दिन से और ज़्यादा चाहा है,  जबसे मालूम हुआ के तुम हमारे होना नही चाहते.
 
ज्यादा कुछ नहीं बदला उसके और मेरे बीच में पहले नफरत नहीं थी अब मोहब्बत नहीं हैं
 
जिस्म‬ पर ‪‎जो निशान‬ हैं ना ‪‎जनाब‬, वो ‪बचपन के‬ हैं, बाद के‬ तो ‪सारे दिल‬ पर है‬
 
बारिश‬ के ‪बाद‬ तार पर ‪टंगी‬ आख़री‬ बूंद‬ से पूछना, क्या‬ होता है ‪‎अकेलापन‬
 
बिखरा वज़ूद, टूटे ख़्वाब, सुलगती तन्हाईयाँ , कितने हसींन तोहफे दे जाती है ये अधूरी मोहब्बत
 
अखबार तो रोज़ आता है घर में, बस अपनों की ख़बर नहीं आती
 
अपनी तो ज़िन्दगी ही अजीब कहानी है, जिस चीज़ को चाहा वो ही बेगानी है, हँसते है तो सिर्फ दोस्तों को हसाने के लिए, वरना इन आँखों में में पानी ही पानी है
 
आँसू आ जाते हैँ आखोँ मेँ रोने से पहले, खुआब टूट जाते हैँ पूरे होने से पहले, प्यार गुनाह है यह तो समझ गए, काश कोई रोक लेता यह गुनाह होने से पहले।
 
बहुत खूबसूरत निशानी एक रखी है मेरे पास तुम्हारी,,, मेरी किताब मैं बनाया दिल मेरा , और उसपर चलाया हुआ तीर तुम्हारा
 
दर्द काफी है बेखुदी के लिए, मौत काफी है ज़िन्दगी के लिए, कौन मरता है किसी के लिए, हम तो ज़िंदा है आपके लिए
 
मिलना इत्तिफाक था, बिछड़ना नसीब था; वो उतना ही दूर चला गया जितना वो करीब था; हम उसको देखने क लिए तरसते रहे; जिस शख्स की हथेली पे हमारा नसीब था।
 
मेरा यूँ टुटना और टूटकर बिखर जाना कोई इत्फाक नहीं.. किसी ने बहुत कोशिश की है मुझे इस हाल तक पहुँचाने में
 
बात मुक्कदर पे आ के रुकी है वर्ना, कोई कसर तो न छोड़ी थी तुझे चाहने में ।
 
वो अक्सर मुझसे पूछा करती थी, तुम मुझे कभी छोड़ कर तो नहीं जाओगे, काश मैंने भी पूछ लिया होता ।
 
तेरे रोने से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता ऐ दिल..जिनके चाहने वाले ज्यादा हो..वो अक्सर बे दर्द हुआ करते हैं
 
कभी पिघलेंगे पत्थर भी मोहब्बत की तपिश पाकर,बस यही सोच कर हम पत्थर से दिल लगा बैठे..
 
मैंने भी दिल के दरवाजे पर चिपका दी है एक चेतावनी, फ़ना होने का दम रखना तभी भीतर कदम रखना।
 
तुमको छुपा रखा हे इन पलकों मे,पर इनको ये बताना नहीं आया,सोते हुए भीग जाती हे पलके मेरी,पलकों को अब तक दर्द छुपाना नहीं आया
 
ख़्वाहिशों का कैदी हूँ,मुझे हकीक़तें सज़ा देती हैं
 
मुझको ढुँढ लेता है रोज किसी बहाने से, दर्द वाकिफ हो गया हैँ मेरे हर ठिकाने से
 
ना रख उम्मीद-ए-वफ़ा किसी परिंदे से,जब पर निकल आते हैं तो अपने भी आशियाना भूल जाते हैं.
 
जिंदगी में बेशक हर मौके का फायदा उठाओ मगर, किसी के भरोसे का फ़ायदा नहीं
 
तुम ख़ुद उलझ जाओगे मुझे ग़म देने की चाहत मे, मुझमे हौंसला बहुत है मुस्कुराकर निकल जाऊँगा
 
निगाहों में अभी तक दूसरा कोई चेहरा ही नहीं आया, भरोसा ही कुछ ऐसा था तुम्हारे लौट आने का
 
कभी टूट कर बिखरो तो मेरे पास आ जाना, मुझे अपने जैसे लोग बहुत पसंद हैं ।
 
तड़प के देखो किसी की चाहत में, तो पता चलेगा, कि इंतजार क्या होता है, यूं ही मिल जाए, कोई बिना चाहे, तो कैसे पता चलेगा कि प्यार क्या होता है.
 
बड़ी आसानी से दिल लगाये जाते हैं, पर बड़ी मुश्किल से वादे निभाए जाते हैं, ले जाती है मोहब्बत उन राहो पर, जहा दिए नही दिल जलाए जाते हैं
 
वक़्त नूर को बेनूर बना देता है! छोटे से जख्म को नासूर बना देता है! कौन चाहता है अपनों से दूर रहना पर वक़्त सबको मजबूर बना देता है!
 
हर कोई मुझे जिंदगी जीने का तरीका बताता है, उन्हें केसे समझाऊ एक ख्वाब अधुरा है वर्ना जीना मुझे भी आता है
 
काश ये इश्क भी चुनावों की तरह होता हारने के बाद विपक्ष में बैठकर कम से कम दिल खोलकर बहस तो कर लेते
 
अगर “बेवफाओं” की अलग ही दुनिया होती तो मेरी वाली वहाँ की “रानी” होती
 
ना उजाड़ ए ख़ुदा किसी के आशियाने को, बहुत वक़्त लगता है एक छोटा सा घर बनाने को
 
हमारी किस्मत तो आसमान पे चमकते सितारों की तरह है… लोग अपनी तमन्ना के लिए हमारे टूटने का इंतजार करते है
 
दर्द से हाथ न मिलाते तो और क्या करते! गम के आंसू न बहाते तो और क्या करते! उसने मांगी थी हमसे रौशनी की दुआ! हम खुद को न जलाते तो और क्या करते!
 
प्यार में मेरे सब्र का इम्तेहान तो देखो वो मेरी ही बाँहों में सो गए किसी और के लिए रोते रोते
 
तकिये क़े नीचे दबा क़े रखे हैँ तुम्हारे ख़याल एक तेरा अक्स, एक तेरा इश्क़ ,ढेरोँ सवाल और तेरा इंतज़ार
 
दो आँखो में दो ही आँसू एक तेरे लिए, एक तेरी खातिर
 
चल हो गया फैसला कुछ कहना ही नहीं तू जी ले मेरे ‪बगैर‬ मुझे ‪जीना‬ ही नहीं
 
खामोशी के भी अपने अल्फाज़ होते हैं अगर तुम समझ जाते तो आज मेरे करीब होते।
 
जिस्म से होने वाली मुहब्बत का इज़हार आसान होता है, रुह से हुई मुहब्बत को समझाने में ज़िन्दगी गुज़र जाती है
 
तेरी आरज़ू मेरा ख्वाब है, जिसका रास्ता बहुत खराब है, मेरे ज़ख्म का अंदाज़ा ना लगा, दिल का हर पन्ना दर्द की किताब है।
 
अब इश्क भी करो तो ‎ज़ात पूछकर करना, यारो ‎मज़हबी झगड़ो में ‎मोहब्बत हार जाती है अब इश्क भी करो तो ‎ज़ात पूछकर करना, यारो ‎मज़हबी झ—ड़ो में ‎मोहब्बत हार जाती है

Powered by PHPKB Knowledge Base Software